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Harish Bhatt

Others

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Harish Bhatt

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मानसून

मानसून

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गुमसुम उदास गुनगुनी धूप में

बैठा हूं तन्हाई में लिखनी है कविता

शब्दों की कमी नहीं इंतजार है मन का

और मन है कि भाव ही नहीं दे रहा

काश पिघल जाता सर्दी की धूप में

बर्फ जैसा ठोस जमा हुआ मेरा मन 

लिखनी है एक कविता 

होना है दुनिया में प्रसिद्ध

सोच का सागर हिलोरे मार रहा

शब्दों का मानसून इंतजार करवा रहा

बंजर पड़े शब्दकोश में उगेंगे शब्द

या फटेगी, धरती निकलेगा पानी

दोनों स्थितियां होगी लाभदायक

उगे शब्द तो एक जबरदस्त कविता

तमाशा तो होना ही है एक दिन

नो टेंशन, नो किचकिच, ओनली मस्त


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