तुम
तुम
1 min
420
जीवन का सार हो तुम
मन की संतुष्टि हो तुम
मेरे घर की बहार हो तुम
उजाले की किरण हो तुम
सुख-दुख की साथी हो तुम
मेरी प्रेरणा स्रोत हो तुम
मेरे अस्तित्व की धुरी हो तुम
दीवारों को घर बनाती हो तुम
इरादों को फौलाद बनाती हो तुम
क्योंकि जीवन का सार हो तुम
हर कविता की कहानी हो तुम
मेरी जमीन और आसमां हो तुम
घर को घर बनाती हो तुम
सपनों को आकार देती हो तुम
मेरे सफर की हमराही हो तुम
मेरे जीवन का आधार हो तुम।