कोई रंग अब जमता नहीं कोई रंग अब जमता नहीं
फासलों के इस स्याह से जंगल में नजदीकियों के कुछ जुगनू ढूंढते हैं फासलों के इस स्याह से जंगल में नजदीकियों के कुछ जुगनू ढूंढते हैं
रूह को संभालना था तुझे, पर सूरत सँवारने पर तेरा जोर है, रूह को संभालना था तुझे, पर सूरत सँवारने पर तेरा जोर है,
छोड़ गए तुम लाल मेरे कैसे तुम बिन रह पायेंगें? छोड़ गए तुम लाल मेरे कैसे तुम बिन रह पायेंगें?
कब ये बेड़ियाँ बन जाये पता नहीं चलता कब ये बेड़ियाँ बन जाये पता नहीं चलता
झोंका हवा और खुले विचारों का देता है विस्तार नजरों ही नहीं नजरिये को भी। झोंका हवा और खुले विचारों का देता है विस्तार नजरों ही नहीं नजरिये को भी।