ये एक छप्पर नहीं एहसास की व्यथा है, यही मानव जीवन और समाज की कथा है। ये एक छप्पर नहीं एहसास की व्यथा है, यही मानव जीवन और समाज की कथा है।
कोई रंग अब जमता नहीं कोई रंग अब जमता नहीं
उदासी की सीलन भरी है, उस पर एक फोटो भी टंगा है, उदासी की सीलन भरी है, उस पर एक फोटो भी टंगा है,
घर की हर चौखट पर बिखरी होती है सभी की इच्छाएँ घर की हर चौखट पर बिखरी होती है सभी की इच्छाएँ
मान लो प्रिय जला बैठेगा यह तुमको खुद काठ पर जलने से पहले मान लो प्रिय जला बैठेगा यह तुमको खुद काठ पर जलने से पहले