बन बैठे सब काठ की रंग-बिरंगी कठपुतलियां। बन बैठे सब काठ की रंग-बिरंगी कठपुतलियां।
सूखे कंठ जब, अंतकाल हो मेरा, तुम गंगा जल बन आ जाना ! सूखे कंठ जब, अंतकाल हो मेरा, तुम गंगा जल बन आ जाना !
काठ जैसी हो गई हूँ मैं कहाँ मेरे जैसी रह गयी हूँ। काठ जैसी हो गई हूँ मैं कहाँ मेरे जैसी रह गयी हूँ।
जलूं तो राख हो जाऊं जलूं तो राख हो जाऊं
काठ पर लेटे, निर्जीव काया में, इक आस फिर कुम्हलाया तब काठ पर लेटे, निर्जीव काया में, इक आस फिर कुम्हलाया तब
मान लो प्रिय जला बैठेगा यह तुमको खुद काठ पर जलने से पहले मान लो प्रिय जला बैठेगा यह तुमको खुद काठ पर जलने से पहले