कठपुतलियां
कठपुतलियां
दुनिया के इस रंगमंच पर
बन गए हम काठ की
रंग-बिरंगी कठपुतलियां
हर इशारे अलग-अगल है
हर नज़ारे अलग-अगल है
अलग-अगल हैं सोच यहां पर
हर सहारे अलग-अगल है
बन बैठे हैं सहजादे सब
पर.......
काठ की पुतले बने हुए है
रंग-बिरंगी कठपुतलियां
सबके सपने अपने-अपने
छल-कपट से रचे हैं सबने
ख्वाहिशों की कमी कहाँ हैं
टिमटिम-टिमटिमाते सपने
फिर....
खुशियां सबके आँखों में हैं
बन बैठे सब काठ की
रंग-बिरंगी कठपुतलियां।