ज़िंदगी खेल नहीं है
ज़िंदगी खेल नहीं है
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ज़िंदगी खेल नहीं
तेरा-मेरा मेल नहीं,
ये तो यूँ ही बनते हैं
फिर रिश्ते जोड़ देती हैं,
ये खुशियों का घर है
कैदखाना या जेल नहीं
ज़िंदगी कोई खेल नहीं।
सवाल ही सवाल हो
सबका एक जवाब हो,
ये तो सभी सोचते रहते हैं
पर जो भी हो कमाल हो।
जिसका कोई मेल नहीं
ज़िंदगी कोई खेल नहीं।
वो रुठ जाएं तो
हम मनाएं तो,
बस धड़कने ही
धड़कनी चाहिए,
हम कभी पास आएं तो
जिसमें कोई झेल नहीं
ज़िंदगी कोई खेल नहीं।
