STORYMIRROR

Shikha Singh

Others

1  

Shikha Singh

Others

ज़िंदगी खेल नहीं है

ज़िंदगी खेल नहीं है

1 min
270

ज़िंदगी खेल नहीं

तेरा-मेरा मेल नहीं,

ये तो यूँ ही बनते हैं

फिर रिश्ते जोड़ देती हैं,

ये खुशियों का घर है

कैदखाना या जेल नहीं

ज़िंदगी कोई खेल नहीं।


सवाल ही सवाल हो

सबका एक जवाब हो,

ये तो सभी सोचते रहते हैं

पर जो भी हो कमाल हो।

जिसका कोई मेल नहीं

ज़िंदगी कोई खेल नहीं।


वो रुठ जाएं तो

हम मनाएं तो,

बस धड़कने ही

धड़कनी चाहिए,

हम कभी पास आएं तो

जिसमें कोई झेल नहीं

ज़िंदगी कोई खेल नहीं।



Rate this content
Log in