गिरे शोख़ शाखों से पत्ते जहाँ पर, कोई पैर उनपे जमाता ना हो, ना आँखें ही नम हों ना कोई कमी हो, कोई भी ... गिरे शोख़ शाखों से पत्ते जहाँ पर, कोई पैर उनपे जमाता ना हो, ना आँखें ही नम हों ना...
उदास पड़ी दुनिया के काले चेहरे को अपनी ख़ुशियों से चमका रही थी, उदास पड़ी दुनिया के काले चेहरे को अपनी ख़ुशियों से चमका रही थी,
कैसे भटक नहीं जाते कुछ ज़माने का डर दिखता है। कैसे भटक नहीं जाते कुछ ज़माने का डर दिखता है।
कोई अच्छा ढूँढ कर लाओ। कोई अच्छा ढूँढ कर लाओ।
कौन है मेरे अन्दर जो हर लम्हा मुझसे लड़ता रहता है, कौन है मेरे अन्दर जो हर लम्हा मुझसे लड़ता रहता है,
ख्वाब कई थे हसीन से मिजाज थे मेरे रंगीन से उन्हीं बिखरे ख्वाबों को फिर से पिरोना ख्वाब कई थे हसीन से मिजाज थे मेरे रंगीन से उन्हीं बिखरे ख्वाबों को फ...