सोना चाहता हूँ
सोना चाहता हूँ
अब सोना चाहता हूँ
तेरी जुल्फों की छांव में
अब तेरे ही गांव में
मैं खोना चाहता हूँ
अब सोना चाहता हूँ ।।
तेरे माथे की शिकन में
तेरे अनमने से मन में
आंखों की पुतलियों में
मैं अब रोना चाहता हूँ
अब सोना चाहता हूँ
पुराने सारे शिकवे गिले
तुम क्यों ना मुझे मिले
एक बार मिलकर मैं
सब खोना चाहता हूँ
अब सोना चाहता हूँ ।।
ख्वाब कई थे हसीन से
मिजाज थे मेरे रंगीन से
उन्हीं बिखरे ख्वाबों को
फिर से पिरोना चाहता हूँ
अब सोना चाहता हूँ।।
आओ कि इंतजार ना हो
हो या चाहे प्यार ना हो
भले पतझड़ हो न हो ,
सावन बन भिंगोना चाहता हूँ ।।
अब मैं सोना चाहता हूँ ।
आओ की बातें हो एक पल
आंखें मूंद लूँ जो रहे जल
यहां पर साथ रहे ना रहे
अब तेरा होना चाहता हूँ
मैंअब सोना चाहता हूँ ।।

