यादों का मकान
यादों का मकान


सुना है मैंने,
तुमने अपने यादों का एक मकान बनाया है
जिसकी छतें,
आकाश की बुलंदियों को चूमती है,
जिसकी दीवारों में,
सपनों की महफिलें समाई है,
और दरवाजे,
जो खुलते थे,
यादों की पगडंडियों में,
अब बंद है
बरसों से,
किसी अपने के इंतजार में,
यहां दीवारों पर,
उदासी की सीलन भरी है,
और उस पर एक फोटो भी टंगी है,
जिस में कुछ दर्द,
कुछ चुभन है,
कुछ चाहत भी छिपी है
थोड़ी थोड़ी,
सुनो,
कुछ पूछना था
तुमसे.......
क्या तुम्हारा घर,
सब के लिए खुलेगा,
या सिर्फ बंद रहेगा,
मेरी यादों का
उसमें प्रवेश......।