कब ये बेड़ियाँ बन जाये पता नहीं चलता कब ये बेड़ियाँ बन जाये पता नहीं चलता
किसके साथ करूँ हंसी ठिठोली अब है ‘खामोशी बातों में’ किसके साथ करूँ हंसी ठिठोली अब है ‘खामोशी बातों में’
राजा दशरथ घर बजत बधाई। कानों में गूंज रही शहनाई। राजा दशरथ घर बजत बधाई। कानों में गूंज रही शहनाई।
मैं थक हार कर काग़ज़ फाड़ देती हूँ ... और कलम को बंद कर कहीं दूर रख देती हूँ... मैं थक हार कर काग़ज़ फाड़ देती हूँ ... और कलम को बंद कर कहीं दूर रख देती हूँ...