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J P Raghuwanshi

Others

4.5  

J P Raghuwanshi

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राम रघुरैया

राम रघुरैया

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अवध में बजत बधैया जनमें है, राम रघुरैया।


चैत्र को महीना, आओ जो पावन।

अभिजीत मुहूर्त, बड़ो है सुहावन।

हर्षित हैं, जा सरजू मैया।

जनमें है राम रघुरैया।

अवध में---


मध्यान्ह काल की, वेला जा आई।

बारह बजे प्रकटें हैं राम रघुराई।

हर्षित हैं, कौशल्या मैया।

जनमें हैं राम रघुरैया।

अवध में-------


राजा दशरथ घर बजत बधाई।

कानों में गूंज रही शहनाई।

देव, करें ता-ता थैया।

जनमें हैं राम रघुरैया।

अवध में------


अवधपुरी सोहई यही भांति।

प्रभुहु मिलन आई जनु राती।

सूरज के धम गयें हैं पहिया।

जनमें हैं राम रघुरैया

अवध में------


राजा दशरथ जी फूलें न समायें।

अपनों सब धन-धान्य लुटायें।

जुग-जुग जीयें चारों भैया।

जनमें हैं राम रघुरैया।

अवध में-------


अवध में बजत बधैया।

जनमें हैं राम रघुरैया।।



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