राम रघुरैया
राम रघुरैया


अवध में बजत बधैया जनमें है, राम रघुरैया।
चैत्र को महीना, आओ जो पावन।
अभिजीत मुहूर्त, बड़ो है सुहावन।
हर्षित हैं, जा सरजू मैया।
जनमें है राम रघुरैया।
अवध में---
मध्यान्ह काल की, वेला जा आई।
बारह बजे प्रकटें हैं राम रघुराई।
हर्षित हैं, कौशल्या मैया।
जनमें हैं राम रघुरैया।
अवध में-------
राजा दशरथ घर बजत बधाई।
कानों में गूंज रही शहनाई।
देव, करें ता-ता थैया।
जनमें हैं राम रघुरैया।
अवध में------
अवधपुरी सोहई यही भांति।
प्रभुहु मिलन आई जनु राती।
सूरज के धम गयें हैं पहिया।
जनमें हैं राम रघुरैया
अवध में------
राजा दशरथ जी फूलें न समायें।
अपनों सब धन-धान्य लुटायें।
जुग-जुग जीयें चारों भैया।
जनमें हैं राम रघुरैया।
अवध में-------
अवध में बजत बधैया।
जनमें हैं राम रघुरैया।।