"सीख"
"सीख"
कितनी ही मुसीबतें आयें,
डरो नहीं।
सुंदर सुभोर हो,
तपती दुपहरी हो,
अलसाती संध्या हो,
डरावनी रात हो।
रास्ता अनजाना हो,
निरंतर चलो।
आशान्वित रहो,
हिम्मत से काम लो।
धनात्मक रहो,
जीवन फिर सुखमय,
आनंद दायक होगा।
कितनी ही मुसीबतें आयें,
डरो नहीं।
सुंदर सुभोर हो,
तपती दुपहरी हो,
अलसाती संध्या हो,
डरावनी रात हो।
रास्ता अनजाना हो,
निरंतर चलो।
आशान्वित रहो,
हिम्मत से काम लो।
धनात्मक रहो,
जीवन फिर सुखमय,
आनंद दायक होगा।