"शीतकाल"
"शीतकाल"
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जाड़े लगें भाई जाड़े लगें,
अगहन-पौष में जाड़े लगे।
दिन हैं छोटे, रातें बड़ी,
डारे बिछौना डुकरो पड़ी।
घर-घर देखो अलाव जलें,
टोपा मफलर अच्छे लगे।
कहूं-कहूं देखो महावट गिरे,
खड़ी फसल को फायदा करें।
गुड़ की जलेबी, घर-घर बने,
मोड़ा-मौड़ी मगन रहें।
कैसो मौसम सुखदाई,
देखो शीत ऋतु आई।।