"धन"
"धन"
माना कि जीवन में,धन की महती आवश्यकता है,
पर,धन साधन है, साध्य नहीं।
माना कि धन से मूलभूत जरूरतें पूरी होती हैं ,
पर धन सुख-शांति का साधक नही।
धन से भौतिकवादी चीजें खरीदी जा सकती हैं ,
पर मन का आनंद सुख चैन शांति नहीं।
धन कमाना, इकट्ठा करना बुरी बात नहीं है,
पर, झूठ-फरेब,धोखे से कमाना वाजिब नहीं ।।