"सुख-दुख"
"सुख-दुख"
जीवन सुख-दुख से भरा है,
किसको बतायें।
कुछ ऐसी बातें हैं,
किसको सुनायें।।
कैसे समझे कौन अपना है पराया,
बातें कुछ राज की है, उसको बतायें।
दुःख का कारण भी तो हमारे अपने है।
अन्दर से तो हम टूट से गये हैं, पर
फर्ज निभाने, बाहर से मुस्करायें।
जब सुख नहीं रहा तो, दुःख भी कट ही जायेगा,
टूटने न दें अपने आप को, आशा के दीप जलायें।।
