जो फिर शब्द न देकर देगा रक्त या लेगा रक्त इस असहनीय व्यवस्था का इससे व्यवस्था टूटे य... जो फिर शब्द न देकर देगा रक्त या लेगा रक्त इस असहनीय व्यवस्था का इसस...
'हाँ मैं उस दिन चीखा था तुम पर, एक गलत गूंज थी वो, मैं चाहता नहीं था। एक दिन जब नकार दिया उस मौके को... 'हाँ मैं उस दिन चीखा था तुम पर, एक गलत गूंज थी वो, मैं चाहता नहीं था। एक दिन जब ...
सुबह के उजाले में छिपता वो कैसा पूंज है। सुबह के उजाले में छिपता वो कैसा पूंज है।
आज खामोशी गुनगुना रही है शान्त आवाज गूंज रही है। आज खामोशी गुनगुना रही है शान्त आवाज गूंज रही है।
बस इतना ही है दर्द तो होता है। बस इतना ही है दर्द तो होता है।
न जाने किस कोने से आ रही है एक गूंज। न जाने किस कोने से आ रही है एक गूंज।