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Dr. Anuradha Jain

Abstract

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Dr. Anuradha Jain

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एक गूंज

एक गूंज

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न जाने किस कोने से

आ रही है

एक गूंज।

सुनी भी है और अनसुनी भी

स्पष्ट और कल्पना सी

एक सरिता सी है

एक गूंज।

न बहती है ना रहती है

ये अविरल है ना ठहरी है

यह सदियों से बहती है

सबसे कुछ कहती है

एक गूंज।

विनाशक है यह सृष्टि है

यह प्रेम की वृष्टि है

यह सब पे समान दृष्टि है

एक गूंज।



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