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Dr. Anuradha Jain

Abstract

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Dr. Anuradha Jain

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म।क

म।क

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जब चांदनी छन कर आती है

कुछ पत्तों पर ठहर जाती है


चंदा मंद मंद मुस्काता है

समय ठहर जा जाता है


जब चांदनी उठती है दहक

उठती है चारों ओर महक


जब मौसम लेता अंगड़ाइयां

जब बोर से भरती हैं अमराइया


जब बूंदी ठिठक से जाती हैं

तब जीवन उठता है दहक


उठती है चारों ओर महक।


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