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Deepti S

Romance Fantasy

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Deepti S

Romance Fantasy

ख़ामोशी बातों में

ख़ामोशी बातों में

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एक अजीब सी कशिश थी तेरी मुलाक़ातों में 

सुकून की नींद थी उन गुजरी रातों में

अब तो पल पल वर्षों समान बीत रहा

दिल का हाल किसे बयाँ करूँ अब है ‘खामोशी बातों में’


विचलित हो उठती जब देखूँ भयावह स्वप्न आँखों में

स्मरण मुझे, तेरा भिंच के थपथपाना अपनी बाँहों में

मेरे संग संग झूमे, नाचे और भीगे बरसातों में

किसके साथ करूँ हंसी ठिठोली अब है ‘खामोशी बातों में’


मेरे लिए हो उज्ज्वल तारा जो देखूँ प्रतिदिन आसमानों में

करती हूँ तुम्हें समर्पित कविता और सितार के गीत तरानों में

जग में तुम्हारे जैसा कंठ नहीं गूंजे तुम्हारे वर्ण कानों में

तुम बिन कहे समझते थे, मेरी धुन की ख़ामोशी ‘बातों में’



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