सर्द हवाएँ
सर्द हवाएँ
ये ठिठुरन ये सर्द हवायें अंतर्मन तन से ये पूछे जायें
कि कैसे मिटती है गली नुक्कड़ पर बैठे बेघर लोगों की ठंड
कैसे इन लोगों को इस ठंड के थपेड़ों से बचायें
चारों ओर जब देखूँ कड़कती सर्दी हर पल ये सवाल सताये
सोचूँ एकजुट कर सबको इनके लिए कम्बल दे आऊँ
या समाज को जाग्रत कर इन्हें तम्बू में रहने की व्यवस्था कराऊँ
एक और तरीक़ा है,हम सब जब भी ठंड में घर से बाहर जायें
घर के पुराने ऊनी कपड़े साथ ले जाकर ज़रूरतमंदों को दे आयें
कुछ दूसरों के लिए अच्छा करने से ही मन को भी चैन आये
न सताएँगी ये बातें हमें न सताएँगी उन लोगों को सर्द हवाएँ।