बस यूँ ही
बस यूँ ही
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बस यूँ ही आ गया मेरे मन में जो अब तक न आया था
सोचने से भी डरती थी जिसे वो घर कर गया था
शायद मंजूर न हुआ इस बार अपनी बेज्जती का तमाशा
बस यूँ ही दिल ने कह दिया न तुमको अब अपना बनाना था
तेरी हर ख़ुशबू मुझे मजबूर करती रही साथ जुड़े रहने को
पर मेरी कोई हंसीं ख़ुशबू भी तुझे मेरे पास न लाई
कहूँ तो सब कुछ छोड़ दिया अब तेरी ख़ुशी के लिए
बस यूँ ही अब दिल से उतर गए हमेशा के लिए
न अब लौट के आएंगे ये सोचा है हमने
न तुम्हें साथ रहने को मजबूर करेंगे अब
ज़िंदगी का सफ़र साथ निभाने का यही तक था
अब बस यूँ ही सफ़र को तय करेंगे हम