ऐ वक़्त, क्या है तेरे दिल में मुझे भी बता दे ज़रा सा... तू कैसा होगा कुछ दिनों बाद ऐ वक़्त, क्या है तेरे दिल में मुझे भी बता दे ज़रा सा... तू कैसा होगा कुछ दिनों बाद
मैं थक हार कर काग़ज़ फाड़ देती हूँ ... और कलम को बंद कर कहीं दूर रख देती हूँ... मैं थक हार कर काग़ज़ फाड़ देती हूँ ... और कलम को बंद कर कहीं दूर रख देती हूँ...