देखिये घोटाले खूब हुये..
देखिये घोटाले खूब हुये..
सरकार तुम्हारी और वादे फेल हुये,
कैसे तुमने झंडे गाढ़े जो फेक हुये।
उल्फत सी हो गयी हैं तुम्हारी बातें,
यहां वहां देखिये घोटाले खूब हुये।
न धर्म को छोड़ा न जातियों को तुमने,
अपनी सत्ता के लिये आमजन खूब ठगे।
एहसास कायर जैसा बातों में माहिर हैं,
काले धंधे काले लोग रातों में जाहिर हैं।
न हवा को शुद्ध रखा न पानी को,
न धर्म का युद्ध रखा न वासी को।
सत्ता के लिये लड़ना कायरों की निशानी है,
जनता के लिये लड़ना वीरों की कहानी है।
हमने तो वही राग गाया जो तेरा तुझको अर्पण है,
कहां तेरी बस्ती जो चौराहा आतंक का समर्पण है।
यह देश लुट चुका है घोटालों और दलालों से,
इसलिये धरा आज लथपथ है वीर जवानों से।
रोज दल बदल कर आने वाले क्या देश के रक्षक हैं,
जाति धर्म पर चीत्कार मचाते क्या आतंक से कम हैं।
यह देश नहीं बदला आज भी कुर्बानियां जारी हैं,
हर तरफ मुंह फैलाये बैठे सब अराजकतावादी हैं।
