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Anita Bhardwaj

Tragedy

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Anita Bhardwaj

Tragedy

बंद

बंद

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बंद होना क्या होता है,

ये तुम क्या जानोगे,

जो थोड़े दिन के बंद से इतना घबरा गए,

बंद होने का एहसास उससे पूछिए

जिसे बचपन से खिलने से पहले ही

बंद होना सिखाया जाता है,


तुम खुलकर हंस नहीं सकती, 

चाहे दीवारें तक हंस पड़े

फिर भी उसका ठहाके

लगाना बंद करवाया जाता है!!

तुम आज़ाद हो अपने मन की करो !


फिर उसके मन की चौखट पर

तुम्हारी पसंद का बंद लगाया जाता है,

तुम खूब पढ़ो,आगे बढ़ो,

जीवनसाथी हमारी पसंद का हो।


उसके कैरियर को गृहस्थी

बचाने का नाम लेकर 

फिर बंद करवाया जाता है

चुपचाप सहना तुम अपमान अपना,

औरत हो औरत बनकर रहो

ये ताना देकर उसका बोलना

तक बंद करवाया जाता है !


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