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Anita Bhardwaj

Classics

4.5  

Anita Bhardwaj

Classics

मां

मां

1 min
205


मां तेरी अहमियत तो मैं

मां बनकर ही पहचान पाई,

मां क्यों होती है जान बच्चों की,

ये बात तो मां बनकर ही जान पाई,


तेरी उंगलियों के जादू की दवाई,

इस दुनिया के हर रोग को मिटा देती थी,

ये दवाई मां के अलावा दे नही सकता कोई,

ये बात तो दुनिया में घायल होकर ही जान पाई,


तेरे आंचल सा सुकून फिर कहीं न पाया,

दुनिया घूम ली ,कोई तुझसा ना पाया,

यूं तो लोग मिले खूब मीठे बनकर,

पर मां की डांट की मिठास के आगे सबको फीका पाया!!


दूसरा जन्म लेती है मां भी मां बनकर,

मां बनकर ही इस बात को मान पाई,

मां तेरी अहमियत तो मैं

मां बनकर ही पहचान पाई !


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