दिल टूट के बिख़रा तो, सिक्कों सा उछाला है ! और न कुरेद ज़ख्म मेरे, मुश्किल बहुत संभाला है ! दिल टूट के बिख़रा तो, सिक्कों सा उछाला है ! और न कुरेद ज़ख्म मेरे, मुश्किल ...
पर ऐसा होता नहीं है, चाकू कभी रोता नहीं है कटता हमेशा तरबूज ही है पर ऐसा होता नहीं है, चाकू कभी रोता नहीं है कटता हमेशा तरबूज ही है
अक्सर डांट खाता है वह तौर तरीके के लिए। अक्सर डांट खाता है वह तौर तरीके के लिए।
भूलकर पुराने ज़ख्म उस राह पर हम दोबारा चले भूलकर पुराने ज़ख्म उस राह पर हम दोबारा चले
मां तेरी अहमियत तो मैं मां बनकर ही पहचान पाई ! मां तेरी अहमियत तो मैं मां बनकर ही पहचान पाई !
वक्त के क्षितिज पर हम मिलेंगे। दास्तान -ए -मुहब्बत लिखेंगे।। वक्त के क्षितिज पर हम मिलेंगे। दास्तान -ए -मुहब्बत लिखेंगे।।