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सीमा शर्मा सृजिता

Romance

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सीमा शर्मा सृजिता

Romance

वक्त के क्षितिज पर

वक्त के क्षितिज पर

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वक्त के क्षितिज पर हम मिलेंगे।

दास्तान -ए -मुहब्बत लिखेंगे।।


कर यकीं उस खुदा की खुदाई में।

फूल बंजर में एक दिन खिलेगें।।


ये डगर कंकरीली ज़िन्दगी की।

हाथ थामे हौले -2 हम चलेंगे।।


फटी चादर को चल ओढ़ लेते हैं 

सुबह मिलकर के इसको सिलेंगे।।


चांद पर साधते हैं चल निशाना।

चांद ना सही तारे तो मिलेंगे।


आंख से बहने दो आज सागर।

जख्म सदियों के आज धुलेंगे।।


एक दूजे की सांसों में बस जायें 

दूध शक्कर से 'सृजिता' घुलेंगे।।



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