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Anita Bhardwaj

Inspirational

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Anita Bhardwaj

Inspirational

ज़माने सी नहीं हूं

ज़माने सी नहीं हूं

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मैं कौन हूं, कैसी हूं

क्या कर सकती हूं

ये बात तो रिश्तेदारों

पर छोड़ दीजिए

बस इतना जान लीजिए

इस ज़माने से हूं

पर इस ज़माने सी नहीं हूं!!


ना मोहब्बत पर कुछ

कहने आईं हूं,

ना बेवफाई के किस्से

सुनाने आई हूं,

नकाबपोशी का ज़माना है साहब!

जुर्माना ना लग जाए

इसलिए चेहरे पर नकाब लगाकर

ज़माने के चेहरे से एक

नकाब हटाने आई हूं!!


अब ज़माने से कुछ ना

पूछूंगी मैं,

क्या पहनूं, कैसी दिखूं

उनके इन सब सवालों

को मिटाने आई हूं

ज़माने ने तो फुरसत दी नहीं

खुद को कुछ पल आईने

में निहारने की,

आज अपना आईना छोड़

ज़माने को एक आईना

दिखाने आई हूं।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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