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Komal Kamble

Tragedy

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Komal Kamble

Tragedy

मझधार जिंदगी की

मझधार जिंदगी की

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जीवन के आसमान में

दुखों के घिरे हैं बादल

जिंदगी की मेरी मझधार

रूकी हुई है किनारे पर


टूटे हौसलों के सागर में

मेरी आशाएं डूब रही

अश्कों के पानी में

सांसें उनकी घुट रही


अरमानों के चंचल परिंदे

गमों के बादलों के पार

उड़ने की ख्वाइश उनकी  

जीवन के उन बंधनों में जा फंसे हैं


खुशियों से भरे ख्वाब

अधूरे ही रह गए

टूटे गमों के वो बादल

जिंदगी की मझधार पर जो जा गिरे!


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