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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Tragedy

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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Tragedy

मेरा गांव बदल गया है

मेरा गांव बदल गया है

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  वो खुलूस,वो प्रेम, मोहब्बत नहीं,                 अब तो नजरों से चलती हैं गोली यहां।    अब थकन सी,चुभन सी,घुटन सी लगे,          कोई बोले नहीं मीठी बोली यहां।      

 अपनी जननी से पूछूं कई बार मैं,                  क्या ये वही मेरी बस्ती है , ए मेरी मां।   ऐसा हो आभास कि ,मेरा गांव बदल गया है।

नजरों से, नमस्ते होती हैं,सलाम बदल गया है।

पहले मेल-मिलाप,भाई चारा,बडा प्यार हुआ करता था।छोटी सी भी बात पर,मिल बैठ विचार हुआ करता था।                              अबतो सच और झूठ का पता नहीं,पंच का आन बदल गया है.....

जोगियों के डूहे,नट के आल्हा,रामलीला के थे रंग यहां।                                              गुरू परब के जुलूस-लंगर में,सिख हिंदु,मुस्लिम संग यहां।‎                      अबतो अपनी-अपनी ढ़पली है , गुणगान बदल गया है... 

 ‎

 ‎हे!खुदा,हे! राम ,वाहेगुरू,अर्ज है "उल्लास " की।

प्यार भर, नफ़रत मिटा, किस्मत ‎ पलट मेरे गांव की।‎                                          हो नहीं सकता कि तू,भगवान बदल गया है।

                         


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