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Jaypoorna Vishwakarma

Tragedy

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Jaypoorna Vishwakarma

Tragedy

क्या यही प्यार है

क्या यही प्यार है

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प्रेम अनुराग तेरे मन में खिलते रहें 

मुझको तो बस विरह वेदना मिलते रहें 

घनघोर बारिश, गरजा बादल 

कंपन हृदय, व्याकुल मन 


किंचित दुख अब ना होता सहन 

भावनाएं कर रही हर बार क्रंदन 

ले विरह अश्रु की भरी प्याला 

हृदय में उठी भयंकर ज्वाला 


कहा था साथी संग में साथ निभाएंगे 

जन्मो - जन्म तक संग बिताएंगे 

टूट चुका उसका विशाल अवलंब 

हाय ! कैसा था उसका छली मन 


बहुत कठिन है उसको करना विस्मृत 

क्योंकि वो मेरे जीवन का था अमृत 

संग रहने के किए थे तुमने कितने इकरार

अब किस बात से तुमको इंकार 


यह कैसा तेरा व्यभिचार है 

तेरा क्या यही प्यार है।


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