सुप्रभात
सुप्रभात
सुशोभित सुंदर सूर्यमणि सी
नवल प्रभात प्रकाश घनी
स्वर्ण सवेरा ले सूर्य जगा
मंगल-मंगल गूँजे ध्वनि
स्वप्न निंद्रा छोड़ के नैना
नित्य सवेरे ये जागे
भोर होते ही जो मानुष्य
कर्म पथ की ओर भागे
कर्म से विधाता रचे भाग्य
करे वो जीवन को धनी
स्वर्ण सवेरा ले सूर्य जगा
मंगल-मंगल गूँजे ध्वनि
मस्त गगन में चहके पंक्षी
आनंदित रसगान भरे
छोड़ अँधेरी रात घनेरी
नित्य नवल उड़ान भरे
पात-पात डाल-डाल झूमे
चंचल स्वभाव गति घनी
स्वर्ण सवेरा ले सूर्य जगा
मंगल-मंगल गूँजे ध्वनि
मोर पपीहा झूमे नाचे
कोयल कुहके गली-गली
फूल कलिका भरे अँगड़ाई
भौंरा चूमे कली-कली
चंचल कलियाँ तितली उड़ती
आकर्षण का केंद्र बनी
स्वर्ण सवेरा ले सूर्य जगा
मंगल-मंगल गूँजे ध्वनि।
