सीता की अग्नि परीक्षा कब तक
सीता की अग्नि परीक्षा कब तक
आदर्शों के मापदंड
तेरे सर है आज तलक
सीता की ये अग्नि परीक्षा
आखिर होगी कब तक
राग रंग परिवेश धरा का
बदल गये रंगीन हलक
न बदली बस तेरी हालत
तेरा बोझा जस का तस
मात पिता कुल तुझसे कहते
भाई कहता मेरी पलक
मात भात की चढ़ी कढ़ाई
ससुराल स्वाद दे रही धमक
बाल बांध लो लोग कहेंगे
रहती हरदम चढ़ी सनक
सास ससुर सम्मान पति का
उनको न हो कोई कसक
छोड़ के जाती अपना आंगन
सपने की ले स्याह झलक
घूंघट तेरा तुझसे कहता
क्यो भीगी है तेरी पलक
आन बान सम्मान तेरे से
मर्यादा की तू ही जनक
नारी जिंदगी तेरी तुझको
हर रोज है देती एक सबक
आखिर कब तक जुल्म की
अग्नि में नारी जलती रहेगी
सीता की ये अग्नि परीक्षा
आखिर कब तक चलती रहेगी।
