टूटा परिवार
टूटा परिवार
टूट चुका है परिवार हरेक का
सभी अलग थलग पड़े हैं
संस्कारों के दरबाजे तो आज कल मानो बंद पड़े हैं।
बेगानों की बात छोड़ो
दादी, दादा, मां वाप भी
अलग अलग वृदा आश्रम में पड़े हैं,
एकत्र रहने का सलीका सिखाए गा कौन,
सुनने वालों ने मोबाईल कानों पे धरे हैं।
प्रेम भाईचारे का सबक
भी हुआ कोसों दूर सबके सब
समय के पाबंद बड़े हैं।
रिश्ते नाते हो गए अधूरे
मासी, मौसा, चाची चाचा, बुआ,
फुफा तक सब खाली पड़े हैं।
भाई भाई बन रहे हैं विरोधीबहनों से भी टूट रहा है नाता
उत्तम रहा सिर्फ बीबी का रिश्ता,
डर के मारे आज का मानव उसको खूब निभाता।
खिन्न भिन्न हो गया है
हरेक का नाता,
जिस घर देखो झगड़े ही झगड़े हैं,
खून के रिश्ते तक अदालतों में खड़े हैं,
हरेक को लालच का रंग चढ़ा है,
रिश्ता भी आजकल मुसाफिर बना है।
सरहदों की जंग को भूल चुके हैं,
आजकल तो घर घर में हिन्दोस्तांन,
पाकिस्तान बने है्।
बेगानों से है भाईचारा
अपने थे जो दूर खड़े हैं
एक ही परिवार के बच्चे
आपस में बंटे हैं ,
हरेक की है अपनी फरमाइस
मां वाप को खाने के लालै पड़े हैं।
कहां से मिलेगा संस्कार
अब इस यहां में सुदर्शन
हम तो उस प्रभु की आस्था में खड़े हैं ।
