नाचीज मुझको बना दिया
नाचीज मुझको बना दिया
नाहक समझकर अपनों ने, नाचीज बना दिया मुझको।
सौतन से लगाकर दिल सबने, बेघर बना दिया मुझको।।
नाहक समझकर अपनों ने--------।।
क्यों दोष फिरंगियों को मैं दूँ ,अपनों ने किया है सितम।
किससे मैं अपनी पीड़ा कहूँ, बेजुबां बना दिया मुझको।।
नाहक समझकर अपनों ने--------।।
कभी होती थी पूजा मेरी, मैं जान थी यहाँ हर दिल की।
नहीं माना गया मुझको सबला,अबला बना दिया मुझको।।
नाहक समझकर अपनों ने--------।।
कभी आन थी हिंदुस्तान की, पहचान थी हिंदुस्तान की।
अब कौन करें रक्षा मेरी, बेख्वाब बना दिया मुझको।।
नाहक समझकर अपनों ने--------।।
रह गई अब मैं मात्रभाषा, इंग्लिश की आई बहार जो।
मैं ताज बनूँ कैसे सिर का, बेताज बना दिया मुझको।।
नाहक समझकर अपनों ने--------।।
