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Ratna Kaul Bhardwaj

Tragedy

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Ratna Kaul Bhardwaj

Tragedy

आशिकी मेरी खुदार है

आशिकी मेरी खुदार है

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कैसे गुज़ारी होगी तुमने

वह रुत मेरे बगैर

वफ़ा के बदले थामी जफ़ा

और हो गए तुम गैर


अरमान पिरोये थे हमने

लम्हा-लम्हा जोड़कर

वह लम्हा वहीं थमा है

जहाँ गए थे तुम छोड़कर


आकर ज़रा देख आंखों में

आँसू मेरे नदामत के

एहसास शायद होगा तुम्हें

क्या होते है लम्हे कयामत के


कैसे कोई तबीब

बन जाता है यूँ ही रकीब

कुछ तो जवाब दे ज़रा

ए मेरे बद नसीब


जवाब मिला


आशिकी तेरी खुदार है

कैसे रुसवा इसे तू करे 

जज़्बातों की जिसे कदर नहीं

उसके पीछे क्यों तू मरे


मुख़्तसर सी ज़िन्दगी यह

रब की है एक नियामत 

उसकी जफ़ा उसे मुबारक

तेरी वफ़ा है तेरी अमानत



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