STORYMIRROR

मिली साहा

Tragedy

4  

मिली साहा

Tragedy

महामारी का जीवन पर असर

महामारी का जीवन पर असर

1 min
376

कोरोना ने जब से ढूंढ लिया हमारा पता,

चारों तरफ छाया है एक अजीब सन्नाटा,

ये महामारी जब से हमारे जीवन में आई,

प्यार, मासूमियत यहाँ से हो गई लापता,

हुए हम घर में बंद कितनों से संपर्क टूटा,

इंसान, इंसान को ही देखकर दूर भागता,

सोचे कहीं महामारी की चपेट में तो नहीं,

बस दूर रहकर ही हाल-चाल पूछा जाता,

किसी बीमार को देख हाथ नहीं लगाता,

लग जाए न रोग ये इसी उलझन में रहता,

चाहे किसी और वजह से हो गई हो मृत्यु,

फिर भी इंसान सदैव करोना ही समझता,

इस वायरस तले पिस रहा है पूरा संसार,

इंसान का इंसान के प्रति घट रहा है प्यार,

महामारी ने छीन ली है हमारी मासूमियत,

तभी तो सख्त हो गया इंसान का व्यवहार,

कोरोना जब से जीवन के लिए बना हैवान,

ज़ख्म पर ज़ख्म खाता ही जा रहा इंसान,

जब भी संभालने की कोशिश की जाती है,

एक नए रूप में आ जाता फिर से ये शैतान,

वक्त ने आज सिखाया जीने का अलग ढंग,

पर समझदारी में फीका हुआ रिश्तों का रंग,

तजुर्बा तो बहुत दे गया ये कोरोना महामारी,

पर छीन ले गया सबके साथ जीने का उमंग,

अब एक दूजे से दूर रहकर ही निभाते रिश्ते,

इस वायरस के डर से मिलने से भी कतराते,

ऐसे में प्यार मासूमियत का वजूद कहाँ रहेगा,

जब हर पल यहाँ मौत के साए में हम हैं रहते।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy