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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Tragedy

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Tragedy

"क्या यही प्यार है?"

"क्या यही प्यार है?"

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कितने सुंदर सपने दिखाकर,

तुमने दिल मेरा तोड़ दिया।

दिल में मेरे ख़्वाब सजाकर,

कैसा तुमने परिणाम दिया।

क्या ! यही प्यार है


चिकनी चुपड़ी बातें करके,

मेरा दिल तुमने जीत लिया।

मेरे जज़्बातों से खेला तुमने,

बेवफ़ाई का इनाम दिया।

क्या ! यही प्यार है ?


रात रात भर जग कर मैं,

सपने तेरे देखा करता।

जीवन में होंगी नई तरंगे,

नील गगन में उड़ता रहता।

क्या ! यही प्यार है ?


अब तो मुझको प्रीत पर तेरे,

होता न बिल्कुल विश्वास।

कितने शिद्द्त से चाहा तुमको,

पर तोड़ी तुमने मेरी आस।।

क्या! यही प्यार है?


जबसे तुमसे दिल लगाया,

कितना ख़ुश मैं रहता।

लगता जीवन में सब कुछ तू है,

सबसे यह बात मैं कहता।

क्या ! यही प्यार है ?


कभी न अब मैं भूल सकूँ,

जो तुमने दर्द दिया है।

तुम पर अब न रहा भरोसा,

प्यार का जो अंजाम दिया है।


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