STORYMIRROR

Sandhya Chaturvedi

Tragedy

3  

Sandhya Chaturvedi

Tragedy

क्या यही प्यार है

क्या यही प्यार है

1 min
340

अभी महज चार दिन ही हुए होंगे,

उस ने मुझे छुआ था

मेरे लाख मना करने के बाद भी

उस ने मुझे ये यकीन दिलाया कि

प्यार में पा लेना ही ,प्यार की चरम सीमा है


मैंने समझाया भी था कि अभी नहीं

पर उसने बोल दिया था कि

यकीन नहीं क्या मुझ पर ?

बस एक इसी सवाल ने मुझे झकोर दिया

फिर सोचा जो कल होगा,

वो आज हो जाये तो क्या ?


प्यार में इतनी सीमाएं जरूरी तो नहीं

मिलन हुआ जब दो तन का,

फिर महज एक आग ही थी

प्यार कहि मर गया था उस की गर्मी में

नशा जब उतरा तो देर हो चुकी थी


फोन की घन्टी नहीं ये धुन बज रही थी

आप जिस से सम्पर्क करना चाहते है,

वो दूसरी ओर बिजी है

लगातार जब सिलसिला ना टूटा

इस अनजानी सी धुन का,


तब होश ये दिल को आया कि

क्या यही प्यार था उस का ?

जब भर गया मन, तब कहीं और बिजी है

कठपुतली की तरह खेल कर फेंक दिया

यूँ उसने प्यार को बदनाम किया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy