एक लड़की की शादी
एक लड़की की शादी
दिखाकर मुझे रंगीन सपना
शादी के लिए तैयार किया
इन देखना-दिखाना रस्मों में
मगर अपमानित मुझे कर दिया।
लेन-देन की इस डगर में
व्यापार मेरा कर दिया
अब दहेज की प्रथा को भी
अलग-सा नाम दे दिया।
छीन के हमसे हमारे
सपनों की लड़ी
बँधा दी पैरों में
शादी की ये कड़ी।
अठारह में नाबालिक से
बालिक बन गई
और बीस तक मैं
एक माँ बन गई।
करके हजारों वादे मुझसे
खुद झूठे बन गए
माँ के घर के लिए भी
उन्होंने मुझे तरसा दिया।
नये सदियों के नए विचार
बहाना बन गया
असलियत में प्रथाओं ने
अपना रुख बदल दिया।
लेकिन इन शादियों के मेलों में
एक लड़की को
उसकी खुद की आजादी से
आजाद उसे कर दिया।