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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy Inspirational

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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy Inspirational

समय रेखा

समय रेखा

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भ्रम की अंगीठी में

अपना बदन सेंकते

खोदता सोच का दलदल

वह सोचता कल बदल जाएगा।


पर समय निष्ठुर

जिसके दोनों पंजों में

तुम्हें मोड़ने की ताकत

तुम्हारे सामने पल पल आएगा।


कभी सहलाते,

कभी पुचकारते

कभी लगा जोर का ठोकर

उसके ताकत से ही वह बल खाएगा।


अंदर बाहर उपर नीचे

मन की लकीरें माथे पर खींचे

जिसको सपनों में पल पल देखा

बंटते हुए समय रेखा

बंटते हुए समय रेखा।


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