मेरी पहली लाइमरिक!
मेरी पहली लाइमरिक!
कविता का नया रूप लिखने को मिला है मौका,
सोचा इस मौके का फायदा उठाकर मार लो चौका,
इस बार लाइमरिक पर लिख दूं,
इसी बहाने लाइमरिक सिख लूं,
मौका है, दस्तूर है, उठा लूं कलम किसने हैं रोका।
पांच लाइनें जिसमें 1-2-5 होती 3-4 से बड़ी, ऐसा होता लाइमरिक का तराना,
पहली, दूसरी को पांचवीं से और, तीसरी को चौथी से होता है सुर मिलाना,
आज की कविता लाइमरिक के नाम कर दूं,
"अअबबअ" के इसमें सुर भर दूं,
किसी को लाइमरिक की परिभाषा, बतानी हो तो इस तरह बताना।।
हास्य रंग होता हैं लाइमरिक कविता की शान,
जितना समझा है इसको, उसके आधार पर लिखी है यह कविता नादान,
सोचा अपने तरीके से हास्य भर दूं,
छोटी सी ही सही, ए कोशिश कर लूं,
यह कविता पढ़कर आपको जोर से तो नहीं, पर थोड़ी तो आई होगी मुस्कान।।
चारों ओर हो रहा है, "बी अ पोयम" प्रतियोगिता का शंखनाद,
सिखा रहा, नए नए काव्यरुप, इसलिए स्टोरीमिरर का धन्यवाद,
अपनी कोशिश कामयाब कर दूं,
पहली लाइमरिक सबमिट कर दूं,
उम्मीद है दस में से दस ना सही, मिल जाएं एडिटोरियल स्कोर सात।