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Mani Loke

Tragedy

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Mani Loke

Tragedy

रेत सी ज़िंदगी

रेत सी ज़िंदगी

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मुट्ठी में भरे रेत सी ,फिसलती ये ज़िंदगी,

कल तक बड़ी गतिशील थी, आज थम सी ये ज़िंदगी।


रिश्तों से लबालब थी ये ज़िंदगी,

आज गैरों की मोहताज है ये ज़िंदगी।

कुछ पल पहले, हसीन थी ये ज़िंदगी।

देखो अब तो इक ख्वाब सी है ज़िंदगी।

पल में देखो इसने खेल कैसा खेला,

संग अपने थे सभी पर, 

अब मेरा चित्त भी न साथ देता,

कल की नहीं ख़बर , 

बस आज का अफसाना है।

लेटे हुए जिस्म को बस ,

फिर इक बार गतिशील बनाना है।

समझ आया इसका मोल ये थी मेरी ज़िंदगी।

नासमझी में जो हल्के में लिया ,

ये थी बड़ी अनमोल मेरी ज़िंदगी।

मुट्ठी में भरे रेत सी ,फिसलती ये ज़िंदगी,

कल तक बड़ी गतिशील थी, आज थम सी ये ज़िंदगी।।



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