STORYMIRROR

Mani Loke

Classics Inspirational

4  

Mani Loke

Classics Inspirational

प्रकृति

प्रकृति

1 min
405

प्रकृति तेरी गोद में, हम खुद को पूर्ण पाते हैं।

कलकल बहती नदियों से स्वप्न अपने सजाते हैं।

 जीवनदायिनी तू है मैय्या।

 

मेरे सारे दुष्कर्म भुलाकर देखो स्वच्छ हवा को देती है। 

पंचतत्वों को सदा ही हमसे जोड़े रखती है।

पेड़ों से होता देखो हमको कितना लाभ है।

हर रूप में करता देखो हमारी वह सेवा सुबह शाम है।


देखो जीवों की प्यासी रूह को तृप्त करता जल हर बार है।

जल जीव हो या धरा वृक्ष सबकी रखता एक सा खयाल है।

प्रकृति तेरे रूप कई है।

कहीं खनिज तो कहीं वनस्पति भरपूर है।

कहीं जल तो कहीं जीवन अद्भुत अविश्वसनीय है।


मां तुल्य है तू जीवन दायिनी,नमन तुझे हम करते हैं।

तेरा ख्याल रखकर हम भी खुद को सुरक्षित रख लेते हैं ।

तेरी गोद में देखो हम सब स्वप्न सभी रच लेते है।

प्रकृति तेरे गोद में खुद को सुरक्षित हम पाते हैं।

पूर्ण हो कर देखो अपने सभी स्वप्न सजाते हैं।                   


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics