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बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Tragedy

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बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Tragedy

भगवान बेच देंग

भगवान बेच देंग

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सत्ता ख़ातिर अपना मज़हब ईमान बेच देंगे

बहू, बेटी, बहन और अपना मकान बेच देंगे


बेच कर पा गए सत्ता ग़र ये सभी ज़नाब,तो

सब सरकारी सम्पतियों की कमान बेच देंगे


हवा, पानी, पर्वत, भूमि सौंप के सरदार को

फ़िर बचें हुए मौसम का अनुमान बेच देंगे


झूठ, फ़रेब, चाल से बनके दीवान देश का

‛अच्छे दिन’ लाने का अपना जबान बेच देंगे


उभार के उन्मादी जज़्बाती देशभक्ति सब में

धीरे से दुश्मन को सरहद सीवान बेच देंगे


अब जाग जाओ मुल्क के आवाम सब तो

नहीं तो तेरी आस्था के भगवान बेच देंगे।।


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