STORYMIRROR

बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Inspirational

4  

बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Inspirational

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
343

ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे

 

चुप हो गया जंगल का बादशाह जब से

तब गीदड़ों के बोल भी और आने लगे


पुरखे जिनके सोते आ रहे हैं जमीं पे

उनके नवासों के भी अब दौर आने लगे


छुप गया चांद जब बदली की ओंट में

आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे


मुनासिब ना समझा मिलना मैं जिनसे

हुज़ूर उनके चेहरे अब ग़ौर आने लगे



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational