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Khatu Shyam

Romance Tragedy

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Khatu Shyam

Romance Tragedy

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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जिंदगी में मेरी रूह बनकर शामिल सा है,

मर्ज ए इश्क़ के तूफ़ा में,वो साहिल सा है।

 

कदर नहीं जिसे मेरे अहसास ए दिल की,

वो शख्स जैसे मेरा दिल ए कातिल सा है।


संग ना होकर भी रहता हर पल वो दिल में,

 वो फिर मुझे ख्वाबों में क्यों हासिल सा है।


बे मुरवत बे कदर सा है वो शख्सथोड़ा सा,

फिर क्यों दिल उसके लिए बिस्मिल सा है।


वो शख्स खूबसूरत भी नहीं चेहरे से यू तो,,

 

दिल ए नादा इश्क़ में जैसे झिलमिल सा हैं।


 मिलेगा वो कब कैसे कहा ये नहीं जानते, 

फिर भी हो गया जैसे हमारी मंजिल सा हैं।


बनाता नहीं या हमें ही वो अब मिलता नहीं,

 बनाने वाले क्यों तू हो गया तंगदिल सा है।


  इतनी बड़ी दुनिया खुदा तूने क्यों बनाई,

कि दूँढना हो रहा अब उसे मुश्किल सा है।


पड़ी लिखी, हासिल डिग्रियां राधे को भी,

पर इश्क़ में हो गया दिल मेरा जाहिल सा है।


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