माँ
माँ
मातृ दिवस पर देखो तो फेसबुक इंस्टा व्हाट्सएप हर जगह माँ ही मां छाई है,
भगवान जाने फिर वृद्धाश्रम में किसकी मां आई है।
भूखा रहकर अक्सर पेट भरती रही जो बच्चों का,
उसकी दो रोटी भी देखो आज बच्चों पर भारी पड़ आई थी।
रोते में आंसू पोंछ बच्चों के दर्द में जो खुद ही रो पड़ती थी
कमाल है वही आंसू आज फिर अपने लिए अपने बच्चों से तोहफे में लाई थी।
हमें चैन की नींद देने को नींदे जिसने अपनी कुर्बा की थी,
आज उसकी बीमारी शायद बच्चों पे बोझ बन आई थी।
कितने त्याग किए जिसने बच्चों को मुकाम देने की खातिर
उन बच्चों ने कैसे, क्यों वो माँ आज ठुकराई थी ।
सांस सांस कर्जदार रहेगी जिसकी सदा को,
उस माँ से कैसी नाराजगी ना जाने कैसी लड़ाई थी।
कहते माँ ही खुदा धरती पे कदमों पे जिसके सारी खुदाई थी
तो फिर ना जाने कैसे क्यों वृद्धा आश्रम में किन किन की माँ आई थी।।
राधे मंजूषा
