तू ही तू
तू ही तू
मौन है अब शब्द मेरे,
और शोर जेहन में तेरा गूंजे, तो क्या करूं?
झूठी मुस्कुराहट को सजा लिया लबों पर अपने,
पर तुझे याद कर अब आंखे बरसे तो क्या करूं?
अहसास तुझे नहीं दिलाऊंगी कभी अपनी मौजूदगी का,
पर तेरे अहसास को ही रूह मेरी तरसे तो क्या करूं?

